Cryptocurrency पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: “हम कानून नहीं बना सकते”, जानें पूरा मामला

Cryptocurrency and supreme court

भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है। कुछ लोग इसे भविष्य की मुद्रा मानते हैं, वहीं कई लोग इसमें हो रही धोखाधड़ी को देखते हुए रेगुलेशन की मांग कर रहे हैं। हाल ही में इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो देश में क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर नई बहस को जन्म दे सकता है।


📌 मुख्य बातें (Highlights):

  • सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की याचिका को किया खारिज
  • कोर्ट ने कहा – “कानून बनाना हमारा काम नहीं, यह सरकार का अधिकार है”
  • याचिकाकर्ता अपनी शिकायतें सरकार के समक्ष रख सकते हैं

⚖️ क्या है पूरा मामला?

देश में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए कई लोगों और संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। इन याचिकाओं में मांग की गई थी कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक ठोस रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाया जाए जिससे निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि कानून बनाना न्यायपालिका का काम नहीं है, बल्कि यह जिम्मेदारी कार्यपालिका यानी सरकार की होती है।


🧾 कोर्ट की टिप्पणी:

“सुप्रीम कोर्ट कानून नहीं बना सकता। यह संसद और सरकार का कार्यक्षेत्र है। यदि याचिकाकर्ताओं को किसी मुद्दे पर आपत्ति है, तो वे अपनी शिकायतें संबंधित सरकारी एजेंसियों को दे सकते हैं।”


अभी तक भारत सरकार का क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन को लेकर रुख सतर्क, लेकिन सकारात्मक रहा है। सरकार ने पूरी तरह से क्रिप्टो पर बैन नहीं लगाया है, लेकिन इसे विनियमित (regulate) करने की दिशा में कदम जरूर उठाए हैं। नीचे कुछ प्रमुख बिंदु हैं जो सरकार के अब तक के स्टैंड को दर्शाते हैं:


🇮🇳 भारत सरकार का क्रिप्टोकरेंसी पर रुख:

1. क्रिप्टो को कानूनी मान्यता नहीं

सरकार ने बार-बार स्पष्ट किया है कि क्रिप्टोकरेंसी को भारत में कानूनी मुद्रा (legal tender) के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है। मतलब – आप बिटकॉइन या किसी भी क्रिप्टो से सामान या सेवाएं नहीं खरीद सकते।

2. क्रिप्टो ट्रेडिंग पर प्रतिबंध नहीं

हालांकि इसे लीगल टेंडर नहीं माना गया है, लेकिन क्रिप्टो ट्रेडिंग पर कोई सीधा बैन भी नहीं है। लोग अभी भी एक्सचेंजों के माध्यम से क्रिप्टो में निवेश कर सकते हैं, लेकिन यह उनकी अपनी रिस्क पर होता है।

3. 2022 में क्रिप्टो पर टैक्स लागू

सरकार ने 2022 के बजट में क्रिप्टो आय पर 30% टैक्स लगाने का ऐलान किया था, जिससे यह संकेत मिला कि सरकार क्रिप्टो एक्टिविटी को ट्रैक और टैक्स करना चाहती है। इसके साथ 1% TDS भी लागू किया गया है।

4. क्रिप्टो बिल अभी तक पेश नहीं हुआ

सरकार लंबे समय से एक ‘Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill’ लाने की बात कर रही है, लेकिन यह बिल अभी तक संसद में पेश नहीं किया गया है। इसकी ड्राफ्टिंग जारी है और सरकार अंतरराष्ट्रीय परामर्श ले रही है।

5. G20 समिट में भी उठाया गया मुद्दा

भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान क्रिप्टो रेगुलेशन एक अहम मुद्दा रहा। भारत ने वैश्विक क्रिप्टो रेगुलेशन के लिए FATF और IMF जैसे संस्थानों के साथ काम करने की बात कही और एक कॉमन फ्रेमवर्क की मांग की।

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6. RBI का सख्त रुख

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बेहद सख्त रहा है। गवर्नर शक्तिकांत दास इसे “Ponzi Scheme” जैसा मानते हैं और क्रिप्टो पर पूरी तरह बैन की सिफारिश कर चुके हैं। RBI डिजिटल करेंसी (CBDC – e₹) को प्रमोट कर रहा है।


🧾 सरकार के बयानों से संकेत मिलते हैं कि:

  • सरकार क्रिप्टो को पूरी तरह बैन नहीं करना चाहती
  • लेकिन निवेशकों को सुरक्षा देने के लिए रेगुलेशन जरूरी मानती है
  • अंतरराष्ट्रीय सहमति और फ्रेमवर्क का इंतजार कर रही है
  • टैक्सेशन के जरिए फिलहाल इसे मॉनिटर कर रही है

📈 इस फैसले का क्या मतलब है?

यह फैसला स्पष्ट करता है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने की जिम्मेदारी सरकार और संसद की है, न कि न्यायपालिका की। इससे अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार पर टिकी हैं कि वह इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है।


🧠 निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह तो तय है कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कानून बनाने की गेंद अब सरकार के पाले में है। ऐसे में निवेशकों, स्टार्टअप्स और क्रिप्टो एक्सचेंजों को उम्मीद है कि जल्द ही भारत में एक स्पष्ट और मजबूत क्रिप्टो नीति सामने आएगी।

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