लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी और जिंदगी की रोचक कहानी

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी और जिंदगी की रोचक कहानी: ऑपरेशन सिंदूर की हीरो के बारे में जानें!

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी और जिंदगी की रोचक कहानी

भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बेबाक और प्रेरणादायक उपस्थिति से देश का दिल जीत लिया। यह ऑपरेशन, जिसने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, न केवल भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन था, बल्कि यह महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को भी उजागर करता है। सोफिया कुरैशी, जो भारतीय सेना के सिग्नल्स कोर की एक विशिष्ट अधिकारी हैं, आज हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक बन चुकी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी सैलरी कितनी है? उनकी जिंदगी की कहानी क्या है? इस ब्लॉग में, हम लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी, करियर, और जीवन के कुछ रोचक तथ्यों को उजागर करेंगे। तो, आइए इस जांबाज महिला अधिकारी की कहानी में गोता लगाएँ!

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी कौन हैं?

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1981 में वडोदरा, गुजरात में हुआ था। वह एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जहाँ उनके दादाजी भारतीय सेना में धार्मिक शिक्षक थे। सोफिया ने अपनी पढ़ाई एम.एस. यूनिवर्सिटी, बड़ौदा से पूरी की, जहाँ उन्होंने 1995 में बी.एससी. (केमिस्ट्री) और 1997 में एम.एससी. (बायोकेमिस्ट्री) की डिग्री हासिल की।

सोफिया ने 1999 में, मात्र 17 साल की उम्र में, चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से प्रशिक्षण प्राप्त किया और भारतीय सेना के सिग्नल्स कोर में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया। 2016 में, उन्होंने इतिहास रचते हुए ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया, जो भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास था। वह इस अभ्यास में 18 देशों की टुकड़ियों में एकमात्र महिला कमांडर थीं।

7 मई 2025 को, सोफिया ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मिलकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को संबोधित किया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस ब्रीफिंग ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया।

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी

भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारी को 7वें वेतन आयोग के अनुसार आकर्षक वेतन और भत्ते मिलते हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल का वेतन पे मैट्रिक्स लेवल 12 के अंतर्गत आता है, जिसका बेसिक वेतन ₹1,21,200 से ₹2,12,400 प्रति माह तक होता है। इसके अलावा, विभिन्न भत्ते जैसे डियरनेस अलाउंस (DA), हाउस रेंट अलाउंस (HRA), ट्रांसपोर्ट अलाउंस, और विशेष सैन्य भत्ते (जैसे हाई एल्टीट्यूड अलाउंस या फील्ड एरिया अलाउंस) भी मिलते हैं।

सोफिया कुरैशी, जो जम्मू क्षेत्र में तैनात हैं, को उनकी पोस्टिंग के आधार पर अतिरिक्त भत्ते भी मिलते होंगे। सामान्य अनुमान के अनुसार, एक लेफ्टिनेंट कर्नल की मासिक सैलरी (भत्तों सहित) ₹1.5 लाख से ₹2.5 लाख तक हो सकती है। सालाना आधार पर, यह ₹18 लाख से ₹30 लाख तक हो सकता है। इसके अतिरिक्त, सेना के अधिकारियों को मेडिकल सुविधाएँ, पेंशन, और अन्य लाभ भी मिलते हैं, जो उनके पैकेज को और आकर्षक बनाते हैं।

हालांकि, X पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया है कि सोफिया कुरैशी की सैलरी के बारे में चर्चा हो रही है, लेकिन ये पोस्ट्स सटीक आँकड़े प्रदान नहीं करतीं। यह ध्यान रखना जरूरी है कि सैन्य अधिकारियों की सैलरी उनकी रैंक, अनुभव, और तैनाती के स्थान पर निर्भर करती है।

सोफिया कुरैशी की जिंदगी के रोचक तथ्य

सोफिया कुरैशी केवल एक सैन्य अधिकारी नहीं हैं, बल्कि उनकी जिंदगी प्रेरणा और साहस की कहानी है। आइए उनके जीवन के कुछ रोचक तथ्यों पर नजर डालें:

1. सैन्य परिवार की विरासत

सोफिया का परिवार सैन्य सेवा से गहराई से जुड़ा हुआ है। उनके दादाजी भारतीय सेना में धार्मिक शिक्षक थे, जो सैनिकों को नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते थे। उनके पति, कर्नल ताजुद्दीन बागेवाड़ी, मशीनीकृत इन्फैंट्री में एक अधिकारी हैं, जो वर्तमान में झाँसी में तैनात हैं। इस दंपति की प्रेम कहानी भी प्रेरणादायक है, जिन्होंने 2015 में प्रेम विवाह किया। उनका बेटा, समीर कुरैशी, उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

2. ऑपरेशन सिंदूर में ऐतिहासिक भूमिका

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की प्रतिक्रिया थी, जो 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। सोफिया ने इस ऑपरेशन की प्रेस ब्रीफिंग में वीडियो सबूत पेश किए, जिसमें मुरिदके के आतंकी शिविरों को नष्ट करने की फुटेज शामिल थी, जहाँ 2008 के मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब और डेविड हेडली को प्रशिक्षित किया गया था। उनकी शांत और आत्मविश्वास भरी प्रस्तुति ने देश भर में उनकी प्रशंसा अर्जित की।

3. संयुक्त राष्ट्र मिशन में योगदान

2006 में, सोफिया ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी। यह उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। उनकी इस उपलब्धि ने भारत का गौरव बढ़ाया और महिलाओं के लिए सैन्य नेतृत्व में नए दरवाजे खोले।

4. जुड़वां बहन और परिवार का गर्व

सोफिया की जुड़वां बहन, शायना सुनसारा, उनकी सबसे बड़ी समर्थक हैं। शायना ने कहा कि वह सोफिया के जरिए अपने आर्मी ऑफिसर बनने के सपने को जी रही हैं। उनकी माँ, हलीमा कुरैशी, ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर उन परिवारों के लिए सांत्वना है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया। उनकी चचेरी बहन, शबाना कुरैशी, ने कहा, “हम न हिंदू हैं, न मुसलमान, हम भारतीय हैं,” जो उनकी राष्ट्रीय एकता की भावना को दर्शाता है।

5. बेलगावी की गौरवशाली बहू

सोफिया कुरैशी बेलगावी, कर्नाटक की बहू हैं, क्योंकि उनके पति ताजुद्दीन बागेवाड़ी गोकरक तालुक के कोन्नूर गाँव के मूल निवासी हैं। उनके ससुर, गौस साब बागेवाड़ी, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और सोफिया की भूमिका पर गर्व महसूस करते हैं।

6. प्रेरणादायक शैक्षणिक पृष्ठभूमि

सोफिया की शैक्षणिक उपलब्धियाँ भी कम नहीं हैं। बायोकेमिस्ट्री में पोस्टग्रेजुएट होने के बावजूद, उन्होंने सैन्य सेवा को चुना, जो उनके देशभक्ति के जुनून को दर्शाता है। जनवरी 2025 में, उन्होंने एम.एस. यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट्री विभाग का दौरा किया, जहाँ उनका छात्रों और शिक्षकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

चुनौतियाँ और प्रेरणा

सोफिया कुरैशी की यात्रा बिना चुनौतियों के नहीं थी। एक महिला सैन्य अधिकारी के रूप में, उन्हें पुरुष-प्रधान क्षेत्र में अपनी जगह बनानी पड़ी। 2016 में ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में उनकी नेतृत्व भूमिका ने साबित किया कि महिलाएँ किसी से कम नहीं हैं। ऑपरेशन पराक्रम और पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत जैसे मिशनों में उनकी सेवाएँ भी सराहनीय रही हैं।

हालांकि, कुछ आलोचनाएँ भी सामने आई हैं। कुछ लेखों में दावा किया गया है कि सोफिया को भारतीय राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि उरी जैसे क्षेत्रों में आम नागरिकों की सुरक्षा के सवाल अनुत्तरित हैं। लेकिन यह आलोचनाएँ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों को कम नहीं करतीं।

निवेशकों और प्रशंसकों के लिए प्रेरणा

सोफिया कुरैशी की कहानी केवल सैन्य सेवा तक सीमित नहीं है; यह साहस, समर्पण, और सपनों को सच करने की प्रेरणा है। उनकी जिंदगी हमें सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। चाहे आप एक निवेशक हों, जो जोखिम लेने की प्रेरणा ढूंढ रहे हों, या एक आम नागरिक, जो देश सेवा का जज्बा रखता हो, सोफिया की कहानी आपको प्रेरित करेगी।

निष्कर्ष

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी न केवल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की हीरो हैं, बल्कि वह भारतीय सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रतीक हैं। उनकी सैलरी, जो अनुमानित रूप से ₹1.5 लाख से ₹2.5 लाख मासिक है, उनकी मेहनत और समर्पण का केवल एक हिस्सा दर्शाती है। वडोदरा की बेटी, बेलगावी की बहू, और भारत की शान, सोफिया कुरैशी की जिंदगी साहस और देशभक्ति की मिसाल है। क्या आप उनकी कहानी से प्रेरित हैं? अपनी राय और विचार हमें कमेंट्स में बताएँ!

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