
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ और क्रिप्टो मार्केट: कितना गहरा है असर और कब तक रहेगा?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के चुनाव के बाद फिर से राजनीति में सक्रिय हुए डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने पुराने एजेंडे पर लौट आए हैं — ट्रेड टैरिफ। खासकर चीन और दूसरे देशों से आयात पर भारी टैरिफ लगाने का उनका प्रस्ताव केवल ट्रेड वॉर तक सीमित नहीं है, इसका सीधा असर क्रिप्टो करेंसी मार्केट पर भी पड़ रहा है।
टैरिफ का क्रिप्टो मार्केट पर क्यों है असर?
- ग्लोबल अनिश्चितता बढ़ती है:
टैरिफ लागू होने से ग्लोबल ट्रेड में अनिश्चितता बढ़ जाती है, जिससे निवेशक पारंपरिक बाजारों से निकलकर क्रिप्टो जैसे वैकल्पिक एसेट्स की ओर रुख करते हैं। - डॉलर की स्थिति कमजोर पड़ सकती है:
अगर टैरिफ के चलते अमेरिका की इकोनॉमी पर दबाव बढ़ता है, तो डॉलर कमजोर हो सकता है, जिससे बिटकॉइन जैसे डिजिटल एसेट्स की डिमांड बढ़ती है। - क्रिप्टो रेगुलेशन पर ट्रंप का दृष्टिकोण:
ट्रंप भले ही पहले क्रिप्टो के आलोचक रहे हों, लेकिन हालिया बयानों में उन्होंने क्रिप्टो इनोवेशन को सपोर्ट करने की बात कही है। इससे मार्केट को एक पॉजिटिव संकेत मिला है।
ट्रंप आगे क्या करने वाले हैं?
- 2025 में टैरिफ का विस्तार:
ट्रंप अगर सत्ता में वापस आते हैं, तो 60% तक चीन से आने वाले प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाने का प्लान कर रहे हैं। इसका असर सिर्फ ट्रेड पर नहीं, बल्कि ग्लोबल इकॉनमी और फाइनेंशियल मार्केट्स पर भी पड़ेगा। - क्रिप्टो को मिल सकता है सपोर्ट:
ट्रंप की टीम इस बार टेक इनोवेशन, खासकर ब्लॉकचेन और क्रिप्टो को लेकर थोड़ी सकारात्मक नजर आ रही है। इससे क्रिप्टो मार्केट को रेगुलेटरी फ्रेंडली माहौल मिल सकता है।
असर कब तक रहेगा?
- शॉर्ट टर्म: जब भी टैरिफ की घोषणा या चर्चा होती है, क्रिप्टो मार्केट में अस्थिरता देखने को मिलती है।
- मिड टर्म (2025 तक): अगर ट्रंप के टैरिफ लागू होते हैं, तो बिटकॉइन और गोल्ड जैसे एसेट्स में तेजी आ सकती है।
- लॉन्ग टर्म: अगर ट्रंप क्रिप्टो को सपोर्ट करते हैं और अमेरिका में फ्रेंडली रेगुलेशन लाते हैं, तो यह मार्केट के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ पॉलिसी सिर्फ ट्रेड तक सीमित नहीं है — इसका सीधा और गहरा असर क्रिप्टो करेंसी मार्केट पर पड़ता है। आने वाले समय में ट्रंप की नीतियों पर नजर रखना जरूरी होगा, खासकर अगर वे 2025 में सत्ता में वापस आते हैं। टैरिफ की वजह से उत्पन्न अनिश्चितता क्रिप्टो मार्केट के लिए एक मौका भी हो सकता है।